लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

४१- नन्ही परी का नाम रखा गया "सौंदर्या"

आप सभी लोग लगभग तैयार हो चुके हैं, और पूजा की तैयारी भी पूरी हो चुकी है‌ पंडित जी के आते ही पूजा आरंभ कर दी जाएगी। इतने में दरवाजे की घंटी बजी, पिताजी जब ् दरवाजे पर गये और दरवाजा खुला‌ तो देखा कि सामने पंडित  जी खड़े हैं‌ उन्होने पंडित जी को प्रणाम किया और अंदर आने को कहा‌ पंडित जी अंदर आए और उन्होंने पूछा कि पूजा कहां पर करनी है। मुझे वह स्थान बताइए, तो मैं पूजा की तैयारी शुरू कर दूं। पूजा से  संबंधित सामान वहीं पर रखवा दीजिए , जिससे मुझे बार-बार कुछ ना मांगना पड़े। पिताजी ने रक्षा को आवाज लगाई और कहा कि पूजा में लगने वाला सामान सब पंडित जी के पास लाकर ही रख दो। तो इससे बार-बार उन्हें आवाज न लगानी पड़े और तुम्हें दौड़ना ना पड़े।। रक्षा ने पंडित जी की बात को सुना और तुरंत सारा सामान लाकर दिया। पंडित जी अपनी पूजा की तैयारी पूरी करने में लग गये। लगभग एक घंटा उन्हें पूजा का तैयारी करने में लग गया। तैयारी पूरी होने के  बाद में पंडित जी ने श्रेया और श्रवण को पूजा पर बैठने को कहा- और सभी घरवालों को कहा कि वह भी आकर पूजा पर बैठे। मां ने श्रेया और श्रवन को आवाज लगाई और  कहा कि तैयार हो गए हो, तो आकर पूजा पर बैठ जाओ। श्रेया और श्रवन दोनों तैयार हो चुके थे। वह आकर पूजा पर बैठ गये, पंडित जी ने पूजा शुरू की।

पंडित जी ने श्रेया और श्रवण को आचमन कराया उनके हाथ धुलाए उनके हाथ में कांस की अंगूठी पहना दी, और पूजा की विधि विधान शुरू किया। पंडित जी ने मंत्रोचार के साथ दोनों को पवित्र किया और पवित्र करने के बाद माथे पर टीका लगाया भगवान की स्थापना करवाई। और मंत्रों के साथ श्रवन के हाथों से सभी जगह पैसे और पुष्प अर्पित कर वाए। कुछ जगह उन्होंने बस फल ही श्रवण के हाथ से अर्पित करने को कहा। सब कुछ श्रवन ही कर  रहा था। श्रेया तो सिर्फ हाथ छुआ कर बैठी थी। श्रवन के साथ हाथ लगाकर बैठना ही पत्नी धर्म निभाना था।  पंडित जी लगातार मंत्रोच्चार कर रहे थे। और मंत्रों से ही घर का वातावरण भी शुद्ध हो रहा था, सभी के मन शुद्ध हो रहे थे, सभी पूजा में बैठे हुए थे, और बारी-बारी से सभी पूजा में सहयोग कर रहे थे। पूजा में आने वाले लोग कोई फल लेकर आ रहा था, तो कोई मिठाई लेकर आ रहा था। वह सभी पूजा में चढ़ा रहे थे, धीरे-धीरे फलों का ढेर लग गया, पूजा चल ही रही थी। तब पंडित जी ने कहा कि अब हवन की तैयारी कीजिए। तो रक्षा ने समिधा और हवन कुंड लाकर रख दिया। पंडित जी ने हवन कुंड में हवन के लिए समिधा लगाई,हवन की तैयारी शुरू की हवन यज्ञ अग्नि प्रज्वलन के लिए पंडित जी ने कपूर का इस्तेमाल किया, कपूर पूजा में बहुत ही लाभप्रद होता है और कपूर का एक और बड़ा चमत्कार होता है कपूर के प्रयोग करने से जिस प्रकार से कपूर कुछ देर बाद खुला रख दो तो उड़ जाता है। ठीक वैसे ही घर में होने वाले दुख दर्द परेशानियों का अंत भी हो जाता है। वह भी कपूर को जलाने की वजह से कपूर की तरह ही उड़ जाते हैं। अगर कोई अपने घर में या घर के दरवाजे पर नित कपूर के साथ दो लौंग जलाने का प्रयोग करें। तो यह प्रयोग बहुत ही सार्थक होता है। और घर में हर प्रकार की खुशी समृद्धि आती रहती है। अगर किसी व्यक्ति को इस पर शक या संदेह हो। तो वह इस प्रयोग को अपने घर में करके आजमा सकता है। कि यह बहुत ही सार्थक प्रयोग है। जो पाठक  इस कहानी को पढ़ रहे हैं। उनको अगर कुछ और जानकारी चाहिए। ऐसे प्रयोगों के बारे में, तो पाठकगण इस कहानी की कमेंट बॉक्स में अपना नंबर भेजे। समय मिलने पर उनको कॉल किया जाएगा। और सभी की समस्याओं और परेशानियों के बारे में शर्तिया  समाधान दिए जाएंगे। आप अपने जीवन में आने वाली  समस्याओं के बारे में  लेखिका से संपर्क कर सकते हैं। इस कहानी के माध्यम से वह कमेंट बॉक्स में अपनी बात रख सकते हैं। वह  इसका जवाब आपको जरूर देगी।

पूजा में पंडित जी ने कपूर जलाकर अग्नि प्रज्जवलित की और अच्छे से अग्नि प्रज्जवलित  होने के बाद पंडित जी ने मंत्रोच्चारण किया। श्रवन और श्रेया  दोनों ही आहुति अर्पित कर रहे थे। श्रेया सामग्री चढ़ाकर आहुति दे रही थी और श्रवन गाय का शुद्ध घी चढ़ाकर आहुति दे रहा था। जैसे ही मंत्रोच्चारण खत्म हुआ। और हवन संपूर्ण हुआ। तो पंडित जी श्रेया  की बेटी को लाकर श्रेया की गोद में देने को कहा- रक्षा ने इतनी देर में नन्ही परी को एकदम परी की तरह सजा दिया था। रक्षा नन्ही परी को लेकर आई, और उसने  उसे श्रेया की गोद में सौंप दिया।  पंडित जी ने पहले तो नन्ही परी की नजर उतारी, उसके बाद उन्होंने नन्ही परी के नामकरण का विधि विधान शुरू किया। पंडित जी ने काफी देर पत्रिका देखने के बाद नन्ही परी का नाम रखने के लिए एक शब्द बताया‌। पंडित जी ने श्रवण और श्रेया के नाम में आने वाले प्रथम अक्षर एस से नाम रखने को कहा- श्रेया और श्रवन ने आने वाले प्रथम अक्षर एस  से परी का नाम रखने को कहा- श्रेया और श्रवन दोनों ने ही अपनी बेटी का नाम पहले ही सोच रखा था ,और नन्ही परी का नाम सौंदर्य की प्रतिमूर्ति  होने के कारण "सौंदर्या" रखा गया। "सौंदर्या" नाम सुनते ही सभी ने दुहराया- सौंदर्या  ...वाह , बहुत सुंदर नाम।और इस तरह नन्ही परी का नाम सौंदर्या रखा गया। अब  तो सभी उसको सौंदर्या..... सौंदर्या...... के नाम से पुकार कर खिलाने लगे‌। वह सुंदर ही इतनी है कि ये खूबसूरत सा नाम उसके ऊपर बहुत ही सुशोभित हो रहा था। जो उसे देखता, कहता  सौंदर्या। यथा नाम तथा गुण सौंदर्या का नाम  सुंदर लग रहा था। सौंदर्य के नामकरण के बाद पूजा समाप्त हुई, पंडित जी ने आरती कराई आरती के बाद सभी को प्रसाद दिया। सभी के नाश्ते की व्यवस्था की गई। पूजा समाप्त होने के बाद श्रेया और श्रवन दोनों प्रसाद लेकर उठे। और अपने कमरे में गए। श्रेया ने  जाकर पहले प्रसाद खाया और उसके बाद  थोड़ा आराम करने के लिए लेट गयी। खाना तैयार होने में अभी समय था। नाश्ते के बाद मां ने सभी के बीच ढोलक मंगाकर रख दी। और गाने बजाने का कार्यक्रम शुरू हो गया।

   18
5 Comments

Barsha🖤👑

24-Sep-2022 10:09 PM

Nice post 👍

Reply

Abhinav ji

24-Sep-2022 07:58 AM

Very nice mam

Reply

Mithi . S

24-Sep-2022 06:17 AM

Bahut khub likha

Reply